क्षेत्रक के आधार पर अर्थव्यवस्था – हमने अर्थव्यवस्था के प्रकारों के बारे में जाना जिसमें अलग आधारों पर इसे विभाजित किया गया है जिसमें से हम निम्नलिखित आधारों के बारे में जान चुके है –
- विचारधारा के आधार पर – पूंजीवादी , समाजवादी एवं मिश्रित
- विकास के आधार पर – अल्प-विकसित , विकासशील एवं विकसित
- विचारधारा विकास के आधार पर – पहली दुनिया के देश , दूसरी , तीसरी एवं चौथी दुनियां के देश
- प्रति व्यक्ति के आधार पर – निम्न आय अर्थव्यवस्था , मध्य एवं उच्च आय अर्थव्यवस्था
- खुलेपन के आधार पर – खुली अर्थव्यवस्था , बंद अर्थव्यवस्था
- क्षमता के आधार पर – आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था एवं निर्भर अर्थव्यवस्था
- भौगोलिक के आधार पर – क्षेत्रीय , राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था
आज हम “क्षेत्रक के आधार ” पर प्राथमिक , द्वितीयक एवं तृतीयक अर्थव्यवस्था के विषय में पढेंगे ।
अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक आर्थिक गतिविधियों से निर्धारित करते है – इसके तीन प्रकार है – 1. प्राथमिक अर्थव्यवस्था 2. द्वितीयक अर्थव्यवस्था 3. तृतीयक अर्थव्यवस्था ।
प्राथमिक अर्थव्यवस्था (Kshetrak Ke Aadhar Par Arthvyavastha)
इस अर्थव्यवस्था में प्रकृति आधारित उत्पादन को लेते है इसलिए यहाँ – कृषि, पशु-पालन, मतस्यन, वानिकी, खनन इत्यादि अभी आर्थिक गतिविधियाँ आती है ।
पशु-पालन, मतस्यन व वानिकी को कृषि संलग्न कहते है, छत्तीसगढ़ में खनन द्वितीयक अर्थव्यवस्था में आता है । इसलिए प्राथमिक क्षेत्र को कृषि भी कहते है ।
क्षेत्रक के आधार पर अर्थव्यवस्था
महत्व
इस पर आधारित अर्थव्यवस्था पिछड़ी होती है, क्योंकि ये कच्चे माल ( Raw Material ) को बेचते है उससे तैयार माल नहीं बनाते अर्थात मूल्य संवर्धन ( Value Addition ) नहीं कर पाते ।
बेल्जियम – हिरा कटिंग , स्वीटजरलैंड-बैंकिंग।
द्वितीयक अर्थव्यवस्था (Kshetrak Ke Aadhar Par Arthvyavastha)
इस अर्थव्यवस्था में प्राथमिक अर्थव्यवस्था से प्राप्त कच्चे माल को तैयार माल में बदलते है। इसलिए इस क्षेत्र को उद्योग क्षेत्र भी कहते है ।
यहाँ उद्योग के 2 रूप है —
निर्माण (Construction) – निर्माण स्थायी वस्तु बनाए को कहते है, जिसमें इमारतें, पुल, सड़क, मशीने सब निर्माण में आती है ।
विनिर्माण (Manufacturing) – विनिर्माण में अस्थायी वस्तुएं जिसका उपभोग हो जायेगा । पेन, पेन्सिल इत्यादि ।
महत्व
इस पर आधारित अर्थव्यवस्था वस्तु की प्रकृति निर्भर करती है इसलिए ये विकसित अर्थव्यवस्था है , ये दूसरों से कच्चा माल लेकर तैयार माल बनाते है । जापान – कार
तृतीयक अर्थव्यवस्था (Kshetrak Ke Aadhar Par Arthvyavastha)
ये अर्थव्यवस्था प्राथमिक अर्थव्यवस्था एवं द्वितीयक अर्थव्यस्था को कार्य करने में सहायता प्रदान करता है, इसलिए इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र कहते है ।
आर्थिक गतिविधियों के लिए बैंकिंग, बीमा, संचार, विपणन, कानून एवं व्यवस्था, परिवहन,कंप्यूटर प्रशासन की आवश्यकता होती है ।
महत्व
यह अर्थव्यवस्था भी पूर्णतः विकसित है । इसमें कच्चा माल आधार नहीं अपितु सेवा ( Service ) पर आधारित होती है अर्थात ज्ञान और कौशल से आय अर्जन करती है ।