ऋग्वैदिक काल 1500 – 1000 B. C.

जैसा कि हम जानते है वैदिक काल के निर्माता आर्य थे ।

वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है :-
1. ऋग्वैदिक काल – 1500 – 1000 B. C.
 
2. उत्तर वैदिक काल – 1000 – 600 B. C.
 

मध्य एशिया या एशिया माइनर में आर्य संस्कृति के प्रमाण

एशिया माइनर में स्थित “बोकाजकोई” से 1400 B. C. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, संभवतः यह विश्व का सबसे प्राचीनतम अभिलेख है ।
इस अभिलेख में खत्ती व मितन्नी नामक दो कबीलों के मध्य संधि का उल्लेख है । संधि के रक्षा हेतु कुछ देवताओं को साक्षी बनाया गया था, जिसमें चार वैदिक देवता इंद्र, वरुण, मित्र, नासल्य का उल्लेख है ।

ऋग्वैदिक काल (1500-1000 B.C.)

 
इस काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत ऋग्वेद है । 
 

ऋग्वेद आर्यों का भौगोलिक क्षेत्र

आर्य भारत में सर्वप्रथम पंजाब व अफगानिस्तान के क्षेत्र के आसपास बसे । इस क्षेत्र को सप्तसैन्धव प्रदेश कहा गया, जिसका अर्थ है सात नदियों का समूह 
ये सात नदी है – सिन्धु, सरस्वती, शतुद्री (सतलज), विपासा (व्यास), पुरुष्णी (रावी), वितस्ता (झेलम) एवं आश्किनी (चिनाब) ।
वैदिक काल में पूर्वी अफगानिस्तान के कुछ नदियों का भी उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार से है :
कुम्भा ( काबुल नदी), सुवास्तु (स्वात), क्रुमु (कुर्रम), गोमती (गोमल) ।
ऋग्वेद में हिमवंत नामक एक पर्वत का उलेख मिलता है, जिसकी पहचान हिमालय से की जाती है । इसकी एक ऊँची छोटी का नाम मुन्जवत का उल्लेख मिलता है जहाँ से आर्य लोग सोम नामक वनस्पति प्राप्त करते थे, और उससे अपना सर्वाधिक प्रिय पेय सोमरस का निर्माण करते थे ।
ऋग्वेद में विंध्य पर्वत का कोई उल्लेख नहीं मिलता, और ना ही समुद्र का कोई स्पष्ट संकेत मिलता है ।
ऋग्वेद के नदी सूक्त में 21 नदियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें सिन्धु नदी का उल्लेख सर्वाधिक बार हुआ है । किन्तु आर्यों की सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती थी नदिवमा ( नदियों में प्रमुख ) कहा गया था ।
यमुना नदी का उल्लेख ऋग्वेद में 3 बार हुआ है, तथा गंगा का उल्लेख मात्र एक बार हुआ है ।
इस प्रकार आर्यों का विस्तार : – उत्तर में हिमालय से, दक्षिण में विन्ध्याचल के उपरी हिस्से तक, तथा पूर्व में गंगा के पश्चिमी तट से पश्चिम में अफगानिस्तान के पूर्वी भाग तक विस्तृत था ।

ऋग्वैदिक काल 1500 – 1000 B. C.

ऋग्वैदिक काल 1500 - 1000 B

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. ऋग्वेद में आर्यों के पांच काबिले होने के कारण इन्हें पञ्चजन्य कहा गया । पाच काबिले क्रमशः अनु , दयहू , तुर्वश, पुरु, यदु ।
  2. ऋग्वेद में पिता शब्द का उल्लेख 335 बार एवं माता शब्द का उल्लेख 234 बार हुआ है ।
  3. ऋग्वेद में एक युद्ध का वर्णन मिलता है, जिसे दशराज युद्ध कहा गया । यह युद्ध पुरुष्नी (रावी) नदी के तट पर भारत जन के राजा सुदास व अन्य दस राजाओं के मध्य हुआ ।
  4. इस युद्ध का कारण भारत जन के राजा सुदास द्वारा अपने पुरोहित विश्वामित्र को हटाकर उनके स्थान पर वशिष्ट की नियुक्ति की थी ।
  5. विश्वामित्र ने दस राजाओं को एकत्रित कर सुदास के विरुद्ध युद्ध किया किन्तु सुदास जिनके पुरोहित वशिष्ट थे इस युद्ध में विजयी रहा ।
  6. इस युद्ध का वर्णन ऋग्वेद के 7 वें मण्डल में किया गया है, जिसकी रचना वशिष्ट ने की है ।
  7. आर्यों के एक राजा दिबोदास ने अनार्य राजा शम्बर को पराजित किया था ।

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