भारत के संविधान ने यहां रह रहे नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए हैं। उन्हीं अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक में मिलता है। भारत में यह अधिकार हर एक व्यक्ति या कहें कि नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को प्राप्त 6 मैलिक अधिकारों में से चौथा अधिकार है और इनका वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 में मिलता है।
अनुच्छेद 25 – अन्तः करण कि स्वतंत्रता
किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने एवं प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता ( सिक्खों को कृपाण धारण करने का अधिकार इसी अनुच्छेद के तहत है )।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार-अनुच्छेद 25-28
अनुच्छेद 26 – धार्मिक संपत्ति के प्रबंध की स्वतंत्रता
व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का, अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध करने का, जंगम और स्थावर संपत्ति के अर्जन और स्वामित्व का, ऐसी संपत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का, अधिकार होगा।
अनुच्छेद 27 – किसी विशेष धर्म की अभिवृद्धि के लिए कर न देने की स्वतंत्रता
अर्थात सरकार दजनता के कर को किसी धर्म विशेष कि अभिवृद्धि के लिए या किसी धर्म विशेष के विरुद्ध खर्च नहीं करेगी ।
अनुच्छेद 28 – शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा का प्रतिबन्ध
1. पुर्णतः शासकीय – धार्मिक शिक्षा प्रतिबन्ध
2. अनुदान या मान्यता प्राप्त – स्वैच्छिक
3. न्यास के तहत गठित – धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है