Hadappa, Bastrofedan, Haathigunfa, Junagarh, Prayag Prashasti, Ehol, Eran Abhilekh – अभी तक हमने इतिहास जानने के स्रोतों में से “साहित्यिक स्रोत” के बारे में पढ़ा । आज हम इस भाग में दूसरा स्रोत “पुरातात्विक स्रोत” के बारे में पढेंगे ।
“पुरातात्विक स्रोत” के अंतर्गत अभिलेख एवं शिलालेख, सिक्के ,भवन मूर्तिकला आदि आते है । इस भाग में हम “अभिलेख” का विवरण देखेंगे ।
“पुरातात्विक स्रोत” में हम हड़प्पा (Hadappa) कालीन, बस्त्रोफेदन (Bastrofedan), अशोक शिलालेख अभिलेख, हाथिगुन्फा (Haathigunfa ) अभिलेख, जूनागढ़/गिरनार अभिलेख, प्रयाग प्रशस्ती (Prayag Prashasti) अभिलेख, एहोल (Ehol) अभिलेख , भीतरी/भीतरगांव अभिलेख, ऐरण (Eran) अभिलेख, मंदसौर अभिलेख, नाशिकअभिलेख, ग्वालियर अभिलेख एवं देवपाड़ा अभिलेख की जानकारी प्राप्त करेंगे ।
- अभिलेख के अध्ययन को एपिग्राफी ( Epigraphy ) कहा जाता है ।
- सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के “बोगाजकोई” ( एशिया माइनर ) से प्राप्त हुआ जो की लगभग 1400 ई. पूर्व (BC) का है ।
- इस अभिलेख में चार वैदिक देवता इंद्र, वरुण , मित्र एवं नासत्य का उल्लेख मिलता है ।
- हड़प्पा कालीन अभिलेख अभी तक पढ़े नहीं जा सके क्योंकि इसकी लिपि “वर्णात्मक” ना होकर “भावचित्रात्मक” है ।
- इस लिपि को लिखे जाने का क्रम दांये से बांये फिर बांयें से दांये है ।
- इस शैली को बस्त्रोफेदन ( Bastrofedan ) शैली कहा जाता है ।
- भारत में अभिलेख लिखने की परंपरा की शुरुआत सम्राट अशोक के शासन काल से माना जाता है, जो लगभग 300 ई. पूर्व के आस पास का है ।
- अशोक के अधिकाँश अभिलेख “पाली” भाषा एवं “ब्राह्मी” लिपि में लिखा गया है ।
- अशोक के अभिलेख में “चार अभिलेख” ऐसे है जिसमें अशोक का नाम मिलता है :
1. मास्की ( Maski ) – कर्नाटक
2. उड़ेगोलम ( Udegolam ) – कर्नाटक
3. नेट्टुर ( Nettur ) – कर्नाटक
4. गुजरा ( Gujra ) – दतिया ( मध्यप्रदेश )
- अशोक ने ईरानी/यूनानी शासक “डेरियस I” से प्रभावित होकर अभिलेख लिखने की प्रथा की शुरुआत की ।
- अशोक के अभिलेखों की खोज 1750 में टी. फैन्थेलर ( T. Fenthelar ) ने की थी, जबकि अशोक के अभिलेखों को 1837 में बंगाल के ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिकारी ” जेम्स प्रिन्सेप” (James Princep ) ने पढने में सफलता प्राप्त की ।
- यवन राजदूत “हिलियोडोरस” का “बेसनगर विदिशा” अभिलेख जिसे “गरुढ़ स्तम्भ लेख” या “बेसनगर लेख” के नाम से जाना जाता है । जिसमें 200 ई. पूर्व में भारत में “भागवत धर्म” के विकसित होने के साक्ष मिलते है ।
Hadappa, Bastrofedan, Haathigunfa, Junagarh, Prayag Prashasti, Ehol, Eran Abhilekh
हाथिगुन्फा अभिलेख – Haathigunfa Abhilekh
- यह एक तिथि रहित अभिलेख है ।
- इस अभिलेख में “नन्द वंश” के शासक “महापद्मनंद” द्वारा कलिंग में नहर निर्माण का उल्लेख है ।
- संभवतः नहरों की जानकारी देने वाला यह प्रथम अभिलेखीय साक्ष है ।
- इसमें “कलिंग” राजा “खारवेल” का उल्लेख है ।
जूनागढ़/गिरनार अभिलेख – Junagarh/Girnar Abhilekh
- यह शक शासक ( रूद्र दमन) का अभिलेख है।
- संभवतः संस्कृत में लिखा गया यह पहला अभिलेख है ।
- इस अभिलेख में “सुदर्शन झील” के निर्माण व पुनर्निर्माण से सम्बंधित “चन्द्रगुप्त मौर्य” व उसका राज्यपाल “पुष्प्गुप्त वैश्य” “अशोक” व उसका राज्यपाल यौवन राज तुषासक , स्कन्दगुप्त आदि का उल्लेख है ।
प्रयाग प्रशस्ती अभिलेख – Prayag Prashasti Abhilekh
- यह अभिलेख गुप्त नरेश “समुद्रगुप्त” के दरबारी “हरिसेन” के द्वारा रचित अभिलेख है ।
- इस अभिलेख में समुद्रगुप्त के विजय, उसके निति व उपलब्धि का वर्णन है ।
- यह प्रशस्ती अभिलेख “चम्पू शैली” में लिखा गया है ।
- चम्पू गद्य व पद्य से मिलकर लिखा जाता है ।
ऐहोल अभिलेख – Ehol Abhilekh
- इस अभिलेख में “चालुक्य” शासक ” पुल्केशीयन II” का उल्लेख है ।
भीतरगांव/भीतरी अभिलेख – Bhitargaon/Bhitari Abhilekh
- गुप्त शासक “स्कंदगुप्त” का उल्लेख एवं स्कंदगुप और हूण व पुष्यमित्र से युद्ध का वर्णन है ।
एरण अभिलेख – Eran Abhilekh
- गुप्त शासक “भानुगुप्त” का उल्लेख है ।
- 510 ई. में जारी यह अभिलेख “सती प्रथा” की जानकारी देने वाला प्रथम अभिलेख है ।
मंदसौर अभिलेख – Mandsaur Abhilekh
- मालवा नरेश ” यशोवर्मन” का उल्लेख मिलता है ।
नाशिक अभिलेख – Nashik Abhilekh
- सातवाहन शासक गौतमी पुत्र “सतकरनी” की माता गौतमी बलश्री का यह अभिलेख है ।
- इस अभिलेख में गौतमी पुत्र “सतकरनी” को एक मात्र ब्राह्मण कहा गया है ।
ग्वालियर अभिलेख – Gwalior Abhilekh
- इस अभिलेख में “प्रतिहार” राजा ” राजाभोज” का उल्लेख मिलता है ।
देवपाड़ा अभिलेख – Devpada Abhilekh
- यह अभिलेख बंगाल शासक “विजयसेन” से सम्बन्धित है ।