Gangrel Dam – गंगरेल बाँध – छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा

गंगरेल बाँध - छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा
छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे चौड़ा बांध – गंगरेल बांध, जिसे मिनी गोवा के नाम से भी जाना जाता है। धमतरी की शान कहे जाने वाला यह बांध बिजली उत्पादन और पेयजल आपूर्ति का भंडार है।
Gangrel Dam – Mini Goa of Chhattisgarh – गंगरेल बाँध धमतरी:  छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिले में स्थित है, यह बांध महानदी पर बनाया गया है और इसे रविशंकर बाँध के नाम से भी जाना जाता है। 
 
इस स्थान को छत्तीसगढ़ का गोवा या मिनी गोवा भी कहा जाता है। यह पिकनिक के दृष्टिकोण से बहुत ही मनमोहक स्थान है। 
यह बाँध धमतरी से लगभग 11 -12 की.मी. की दुरी में स्थित है, यह स्थान धमतरी शहर से गाँव की ओर है इसलिए यहाँ से आगे केवल गाँव ही मिलेंगे ना की कोई राष्ट्रिय राजमार्ग। 
 
इस बाँध को सबसे लम्बा ( चौड़ा ) बांध माना जाता है क्यूंकि महानदी की चौड़ाई छत्तीसगढ़ की नदियों में सबसे अधिक है।
 

महामाया मंदिर प्राचीन गाथा – रतनपुर

महामाया मंदिर प्राचीन गाथा - रतनपुर
Ancient Story of Mahamaya Temple Ratanpur – महामाया मन्दिर रतनपुर – प्राचीन कथा के अनुसार छत्तीसगढ़ का महामाया मंदिर एक अलौकिक गाथा है। इस मंदिर को कालातीत साम्राज्य की कुलदेवी के रूप में जाना जाता था।

यह बिलासपुर – कोरबा मुख्यमार्ग पर 25 कि.मी. पर स्थित आदिशक्ति महामया देवि कि पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का प्राचीन एवं गौरवशाली इतिहास है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर का निर्माण 11 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच हुआ था।इसका निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवी शताबदी में कराया गया था ।
 

मदकू द्वीप बिलासपुर एक प्राचीन मंदिर

मदकू द्वीप बिलासपुर एक प्राचीन मंदिर
 
Madku Dweep Bilaspur An Ancient Temple- मदकू द्वीप बिलासपुर – मदकू द्वीप एक छोटा और सुंदर द्वीप है, एक प्राचीन मंदिर है, यह छत्तीसगढ़ के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
मदकू द्वीप इस  क्षेत्र का गौरव है, यह पर्यटन स्थल शिवनाथ नदी के किनारे में स्थित है। इसके नाम से ही ज्ञात होता है की इस स्थान को शिवनाथ नदी दोनों ओर से घेरी हुयी है, या यूँ कहिये की शिवनाथ नदी के रास्ते यह पठार है जिसके दोनों तरफ नदी है।यह स्थान प्राचीन  मंदिरों एवं पुरातात्विक दृष्टिकोण से  बहुत प्रसिद्ध है।
 

 
Madku Dweep Bilaspur An Ancient Temple- मदकू द्वीप बिलासपुर  को संत मदकू(ऋषि मंडकु) के नाम पर रखा गया है। यहाँ खुदाई के दौरान जो भी सामग्री मिली उसके अनुसार कुछ मंदिरों का निर्माण किया गया है एवं कुछ तो अपने ही अवस्था में है।
यह स्थान पिकनिक मनाने के लिए बहुत ही अच्छी जगह है, यहाँ आपको छोटे छोटे दुकानों से रेडीमेड फ़ूड प्राप्त हो सकतें है।

बांगो/मिनिमाता/हसदेव परियोजना बांध कोरबा

बांगो मिनिमाता हसदेव परियोजना बांध कोरबा

बांगो बांध कोरबा  – बांगो, मिनिमाता, हसदेव बांध उसी बांध का नाम है और यह बांध छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी और पहली जल परियोजना है, जो पर्यटन नगरी कोरबा में स्थित है।

चित्रकोट तीरथगढ़ जलप्रपात – जगदलपुर

Chitrakot Tirathgarh Waterfall Jagdalpur - चित्रकोट एवं तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर
चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर बस्तर की शान हैं। चित्रकोट जलप्रपात को छत्तीसगढ़ का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है।
Chitrakot and Tirathgarh Waterfall  – चित्रकोट एवं तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर  एक बहुत ही रमणीक पर्यटन स्थल है , यह छत्तीसगढ़ के  बस्तर  जिले  में स्थित है. यह जलप्रपात जिला मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी में स्थित है।

चित्रकोट जलप्रपात Chitrakot Waterfall

यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे चौड़ा और बड़ा जलप्रपात है , इसे छत्तीसगढ़ नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता है , इस जलप्रपात की विशेषता यह है की  बरसात के समय इसका पानी लाल और गर्मियों में दूध की तरह सफ़ेद होता है, चन्द्रमा की रौशनी में यह और भी मनमोहक लगता है।यह जलप्रपात इन्द्रावती नदी में स्थित है।

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छत्तीसगढ़ का शिमला – मैनपाट अंबिकापुर

Shimla of Chhattisgarh Mainpat
Shimla of Chhattisgarh Mainpat Ambikapur – छत्तीसगढ़ का शिमला -मैनपाट अंबिकापुर – मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है, ठंड में बर्फबारी, टाइगर प्वाइंट, बुद्ध मंदिर, दलदली जमीन , उल्टे पानी के अलावा यहां एक पर्यटक होटल भी है।
 

Shimla of Chhattisgarh Mainpat  – छत्तीसगढ़ का शिमला -मैनपाट अंबिकापुर  उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित एक पर्वतीय क्षेत्र है , इसे छत्तीसगढ़ का शिमला के नाम से भी जाना जाता है । जिला मुख्यालय से लगभग 45 की.मी. की दुरी में स्थित यह जगह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर एवं बौद्ध धर्म स्थली भी है ।
यहाँ बाक्साईट की खदान है , ये बाक्साईट कोरबा में स्थित ” बालको ” के अंतर्गत आता है और इसी बाक्साईट का उपयोग “बालको” में एल्युमिनियम के निर्माण में किया जाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र की तरह “बालको ” भी हमारे छत्तीसगढ़ का गर्व है ।
यहाँ सरकार द्वारा 1962 में तिब्बत्तियों को बसाया था ,  यहाँ बौद्ध मठ है एवं समय समय पर यहाँ मेला भी लगता है।यह प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान है, इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का शिमला एवं  तिब्बत्तियों की वजह से छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहा जाता है । जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से यहाँ जाने के लिए दो रास्ते  है, पहला सीतापुर होते हुए एवं दूसरा दरिमा होते हुए, इस रास्ते  से ही हमारा जाना हुआ ।

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