1914 में तिलक जेल से रिहा हुए और उन्होंने पाया की नरम पंथियों की नेतृत्त्व में कांग्रेस एक निष्क्रिय संगठन बन चुकी थी, ऐसी स्थिति में तिलक और ऐनी बेसेंट ने होमरूल लीग आन्दोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया। यह आन्दोलन आयरलैंड के होमरूल आन्दोलन से प्रभावित था।
तिलक व ऐनी बेसेंट ने अपने अपने कार्य क्षेत्रों को बांटकर यह आन्दोलन प्रारम्भ किया।
तिलक का होमरूल – Home Rule of Tilak
तिलक ने अप्रैल 1916 में बेलगाँव में हुए प्रांतीय सम्मेलन में इंडियन होमरूल लीग की स्थापना की। इसके प्रथम अध्यक्ष ” जोसेफ वैपटिस्टा” थे, अन्य सदस्य एन.सी. केलकर थे ।
इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र कर्नाटक, महारष्ट्र (बम्बई को छोड़कर), मध्य प्रान्त व बरार (वर्तमान में महाराष्ट्र में है) ।
पत्रिका – केसरी (मराठी भाषा), मराठा (अंग्रेजी भाषा)
नारा – “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मै इसे लेकर रहूँगा”।
ऐनी बेसेंट का होमरूल – Home Rule of Annie Besent
होमरूल आन्दोलन की योजना सबसे पहले ऐनी बेसेंट ने 1914-15 में प्रस्तुत की थी , ऐनी बेसेंट ने सितम्बर 1916 में मद्रास के अडयार में All India Home Rule League की स्थापना की।
इस आन्दोलन के प्रथम अध्यक्ष “अरुंडेल” थे, अन्य सदस्य एस. सुब्रमण्यम अय्यर थे। (CGPSC IMP)
इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र तिलक के कार्यक्षेत्रों को छोड़कर शेष भारत व बम्बई था।
पत्रिका – New India, Common Will (ऐनी बेसेंट)
उद्देश्य – दोनों होमरूल लीग की मांग डोमेनियन स्टेटस के तहत स्वशासन का मांग करना था।