समाजशास्त्र की अन्य विज्ञानों से तुलना

समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ सम्बन्धों की विवेचना समाजशास्त्र की प्रकृति की स्पष्ट करने में मदद करती है चूंकि यह विषय एक प्रगतिशील विज्ञान है इसलिए इसकी अध्ययन सामाग्री व विषयवस्तु में भी निरन्तर परिवर्तन एक स्वभाविक प्रक्रिया है। समाजशात्र का प्रभावि अध्ययन करने हेतु नवीन विधियों को अपनाया जाता है, जिसके कारण इस विषय को स्वतः ही अन्य सामाजिक विज्ञानों से सामान्य रूप से अन्तः क्रिया करनी पड़ती है इस प्रकार स्पष्ट है कि नवीन अध्ययन पद्धति के कारण समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों से भी घनिष्ट संबंध निर्मित होता जा रहा।

समाजशास्त्र और इतिहास

समाजशास्त्र और इतिहास के मध्य घनिष्ट सम्बन्ध है, जहां इतिहास, भूतकालीन सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक घटनाओं एवं संस्थाओं का अध्ययन करता है वही समाजशास्त्र इतिहास के इन तथ्यों का उपयोग करते हुए वर्तमान सामाजिक समस्याओं के उन्मूलन का कार्य करता है। इतिहास में क्रांति युद्ध संघर्ष, आक्रमण आदि होते है जिनका कारण स्पष्ट रूप से सामाजिक विघटन ही होता है इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि इतिहास युद्ध का वर्णन करता है तो समाजशास्त्र युद्ध को सामाजिक घटना के रूप में मानकर उनको प्रोत्साहित करने वाली घटनाओं का अध्ययन करता है, इस प्रकार इतिहास और समाजशास्त्र दोनो ही सभ्यता एवं संस्कृति का अध्ययन करते हैं।

उपर्युक्त समानताओं के आधारो पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए कि इतिहास और समाजशास्त्र में कोई अंतर नहीं है वस्तव में दोनों विषयों के मध्य पर्याप्त अंतर भी है जहां इतिहास का संबंध अतित से है वहीं समाजशास्त्र मुख्यतः वर्तमान से संबंधित है। इतिहास एक विशेष विज्ञान है जबकि सामाजशास्त्र सामान्य विज्ञान है इसके अलावा इतिहास की घटनाओं का परिक्षण एवं पुनर्परिक्षण संभव नहीं है जबकि सामाजशास्त्र के अन्तर्गत सिद्धांतों का परिक्षण एवं पुनर्परिक्षण संभव है।

समाजशास्त्र और अर्थशात्र

अर्थशास्त्र का तात्पर्य समाज के आर्थिक पहलू के अध्ययन से है। इस प्रकार स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है इसलिए अर्थशास्त्र एवं सामाजशास्त्र में संबंध होना स्वाभाविक ही है क्योंकि कोई भी आर्थिक संबंध सामाजिक दशाओं से अलग नहीं है जैसे मांग के नियम को ही लिया जाये तो इस नियम के पीछे अनेक सामाजिक तथ्य काम करते हैं जैसे- किसी वस्तु की मांग इस बात पर आधारित होगी कि वह वस्तु विलासिता, सूख या आवश्य‌कता में किस वर्ग में आती है प्रथाओं एवं फैशन से उसका क्या सम्बन्ध है आदि। इन सभी तथ्यों का अध्ययन सामाजशास्त्र ही करता है। मैकाइवंगू ने इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए कहा है कि एक प्रकार से आर्थिक घटनाएं सदैव सामाजिक अवस्थाओं और क्रियाओं द्वारा निश्चित होती है। समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में घनिष्ठ संबंध होते हुए भी पर्याप्त रूप भिन्नता है, समाजशास्त्र मानव जीवन के प्रत्येक पहलू का सामान्य अध्ययन करता है जबकि अर्थशास्त्र केवल विशिष्ट रूप से आर्थिक पहलु का अध्ययन करता है इस प्रकार सामाजशास्त्र एक व्यापक विज्ञान है जबकि अर्थशास्त्र एक विशेष या विशिष्ट विज्ञान।

समाजशास्त्र की अन्य विज्ञानों से तुलना

समाजशास्त्र की अन्य विज्ञानों से तुलना

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र

राजनीति शास्त्र वह सामाजिक विज्ञान है जिसका संबंध मनुष्य की राजनैतिक क्रियाओं के अध्ययन से है। राजनैतिक विज्ञान तथा समाजशास्त्र की अध्ययन प्रणाली और विषयवस्तु में अनेक सामानताएं विद्यमान है इस सन्दर्भ में गिल्क्राइस्ट ने राजनीतिशास्त्र और समाजशास्त्र की पारिस्परिक अंतर निर्भरता का वर्णन करते हुए कहा है कि राजनीतिक शास्त्र में हमें मानव संबंध के उन तथ्यों एवं सिद्धांतों को अवश्य ग्रहण करना होगा जिन सिद्धांतों एवं तथ्यों का अध्ययन एवं प्रतिपादन करना समाजशास्त्र का कत्तर्व्य है। वास्तव में समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र दोनों ही एक दूसरे पर निर्भर है समाजशास्त्र निर्भर है समाजशास्त्र के अन्तर्गत तो राजनैतिक समाजशास्त्र नामक शाखा का विकास दोनों के घनिष्ट संबंधो को परिलक्षित करता है।

दोनों ही विषयों में अनेक समानाताओ के होते हुए भी इनमें कुछ, मौलिक अंतर विद्यमान है, समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों का अध्ययन करता है जबकि राजनीतिक शास्त्र सामाजिक संबंधों के अन्तर्गत केवल राजनीतिक संबंधों का ही अध्ययन करता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि समाजशास्त्र, एक सामान्य विज्ञान जबकि राजनैतिक शास्त्र एक विशिष्ट विज्ञान है।

समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्र

यह दोनों विषय अत्यधिक निकटवर्ती सामाजिक विज्ञान है जहां समाजशास्त्र सभ्य समाज का अध्ययन करता है वहीं मानव समाज आदिम समाज का । संभवत: इसी कारण हावेल का कहना है कि समाजशास्त्र एवं सामाजिक मानवशास्त्र बिल्कुल समान व एक है।

क्रोवर” ने तो इन दोनों को जुड़वा बहने कहा है।

मानव शास्त्र मनुष्य के शारिरिक लक्षणों, प्रागैतिहासिक युग की संस्कृतियों, सभ्यताओं कलाओं तथा आदिम समाजिक परिस्थितियों में मनुष्य के समाज एवं संस्कृति का अध्ययन करता है। समाज शास्त्र  मानवशास्त्र के इन अध्ययन विषयों का आधार पर ही वर्तमान समाज का अध्ययन करता है । अत: स्पष्ट है कि. समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र आपस में घनिष्ठ रूप से संबंधित है ।

इन उपर्युक्त सामानांताओं के होने के बावजूद समाजशास्त्र और मानवशास्त्र मे कुछ मौलिक अंतर भी विद्यमान है जैसे समाजशास्त्र आधुनिक समाज का अध्ययन करता है जबकि मानवशास्त्र आदिम समाज का का अध्ययन करता है ।

समाजशास्त्र सामाजिक घटनाओं का अध्ययन सामाजिक दृष्टिकोण से करता है जबकि मानवशास्त्र सामाजिक घटनाओं का अध्ययन सांस्कृतिक दृष्टिकोण से करता हैं।

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