हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो-सिंधु सभ्यता

Harappa, Mohenjodaro, Chanhudaro – Indus Valley Civilization  सिन्धु घाटी सभ्यता – हड़प्पा , मोहन जोदड़ो, चन्हुदड़ो, में हम पढेंगे की सिन्धु घाटी सभ्यता का नामकरण, विस्तार काल निर्माण का निर्धारण एवं इसके प्रमुख नगर कौन कौन से है । यह इतिहास को जानने का पुरातात्विक स्रोत का हिस्सा है ।

  • सिन्धु घाटी सभ्यता “कांस्य युगीन ” ( Bronze Age ) सभ्यता थी जो की इतिहास के “औधोएतिहासिक” काल से सम्बन्धित है ।
  • इस सभ्यता के सम्बन्ध में जानकारी का प्रमुख स्रोत पुरातात्विक खुदाई है ।

नामकरण 

  • इस नगरों की आरम्भिक खुदाई “सर जॉन मार्शल” के नेतृत्त्व में हुई थी ।
  • चूँकि पहला खोजा गया नगर “हड़प्पा” था अतः इसे हडप्पा संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है ।
  • आरम्भिक उत्खनन  सिन्धु नदी और उसके सहायक नदियों के आसपास हुई थी जिसके कारण “सर जॉन मार्शल” ने इसे “सिन्धु घाटी सभ्यता” ( Indus Valley Civilization ) कहा गया ।

Harappa, Mohenjodaro, Chanhudaro – Indus Valley Civilization

विस्तार

  • सिन्धु सभ्यता का विस्तार उत्तर में “जम्मू” के “मांडा” एवं दक्षिण में “दैमाबाद” ( महाराष्ट्र ) तक था ।
  • पूर्व में ( East ) इसका विस्तार उत्तरप्रदेश के “आलमगीरपुर” और पश्चिम में “बलूचिस्तान” के “सुतकांगेडोर” तक विस्तृत था ।
आकार
  • सम्पूर्ण क्षेत्र त्रिभुजाकार था  ।
  • इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग की.मी. था ।
  • समकालीन सभ्यता : मिश्र (नील नदी), ईराक मेसोपोटामिया ( दजला फरत नदी ), सुमेर की सभ्यता ।
सिन्धु सभ्यता- काल निर्धारण
  • रेडियोकार्बन डेंटिंग (C14 -Method) के अनुसार 2300 से 1750 ई. पूर्व ।
  • जॉन मार्शल के अनुसार 3250-2750 ई. पु.।
  • मार्टिमर व्हीलर के अनुसार 2500-1500 ई.पु.।
प्रमुख नगर
  1. हड़प्पा
  2. मोहन जोदड़ो
  3. चन्हुदड़ो
  4. कालीबंगा
  5. लोथल
  6. बनावली
  7. धौलाविरा
इन सभी नगरों की जानकारी इस प्रकार है :

हड़प्पा – Harappa

  • खोज : 1921 में “दयाराम साहनी”
  • स्थिति : पाकिस्तान के रावी नदी के तट पर पंजाब के “मांडगोमरी” जिले में स्थित है ।
उत्खनन से प्राप्त
  1. दो कतारों में 12 “अन्नागार”
  2. दो प्रकार के ” कब्रिस्तान” R-37 H
  3. कांसे की ईक्का गाड़ी ।
  4. श्रमिक आवास ।
  5. शंख का बना बैल ।
  6. पक्की मिटटी की बनी स्त्री की मूर्ति ।
हडप्पा से बड़ी संख्यां में पक्की मिटटी की बनी स्त्री मूर्ति पाई गई जिसके नाभि से पेड़ को उगते हुए दिखाया गया है । जिसे पृथ्वी देवी या उर्वरा देवी माना गया है ।

मोहनजोदड़ो – Mohenjodaro

मोहन जोदड़ो का शाब्दिक अर्थ मृतकों या प्रेतों का टीला है ।
  • खोज : इसकी खोज 1922 में “राखालदास बैनर्जी” द्वारा किया गया ।
  • स्थिति : पाकिस्तान के “सिंध प्रान्त” के “लरकाना” जिले में स्थित है ।
  • नदी तट : सिन्धु नदी
उत्खनन से प्राप्त
  1. विशाल अन्नागार
  2. विशाल स्नानागार
  3. पुरोहित आवास
  4. सभा भवन
  5. घरों में कुओं के अवशेष
  6. कूबड़ वाला सांड
  7. कांसे की नर्तक की मूर्ति
  8. पुजारी की मूर्ति
  9. मोहर पर योगी की प्रतिमा
  10. सूती कपडा
विशेष
  • “अन्नागार” यहाँ की सबसे बड़ी ईमारत थी ।
  • मोहनजोदड़ो को सिंध का “बाग़” या “निख्लिस्तान” कहा जाता था ।
  • मोहनजोदड़ो को 7 बार बसाया गया था ।

चन्हुदड़ो – Chanhudaro

  1. खोज : इसकी खोज 1931 में “गोपालदास मजुमदार” द्वारा किया गया ।
  2. स्थिति : पाकिस्तान के “सिंध प्रान्त”  में स्थित है ।
  3. नदी तट : सिन्धु नदी
  • यहाँ “सैन्धव संस्कृति” के अतिरिक्त “पाक हड़प्पा संस्कृति” जिसे “झुकर-झाकर” संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए है।चन्हुदड़ो पूरी तरीके से शिल्प (Craft) उद्पादन के लिए प्रसिद्ध था अर्थात यह सिन्धु घाटी की औद्योगिक नगरी थी ।
  • शिल्प कार्य में मनके (मोती) बनाना, मोहर निर्माण तथा बाट निर्माण शामिल थी ।
  • चन्हुदड़ो से किसी भी “दुर्ग” (Fort) के अवशेष प्राप्त नहीं हुए है ।