उत्तर वैदिक काल – राजनितिक जीवन
भारतीय इतिहास का यह काल जिसमें सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, अरण्यक, उपनिषद की रचना हुई “उत्तर वैदिक काल” कहलाता है ।
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भारतीय इतिहास का यह काल जिसमें सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, अरण्यक, उपनिषद की रचना हुई “उत्तर वैदिक काल” कहलाता है ।
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राजा का पद वंशानुगत हो गया था फिर भी उसे असीमित अधिकार प्राप्त नहीं थे, क्योंकि उसे कबीलायी संगठन से सलाह लेनी पड़ती थी । “राजा पर नियंत्रण का कार्य सभा एवं समिति नामक संस्था करती थी ।” ऋग्वेद में विदथ नामक संस्था का भी उल्लेख मिलता है जो की आर्यों की प्राचीनतम संस्था है ।
ऋग्वैदिक काल – राजनितिक संगठन Read More »
ऋग्वैदिक काल में संयुक्त परिवार की अवधारणा प्रचलित थी, पुत्र का जन्म हर्ष का विषय होता था, जबकि कन्या का जन्म न तो हर्ष का विषय होता था ना ही दुःख का ।
ऋग्वैदिक काल – सामजिक जीवन Read More »
शक्तियां कार्यपालिकायी शक्तियां विधायी शक्तियां न्यायिक शक्तियां क्षमादान की शक्तियां वित्तीय शक्तियां सैन्य शक्तियां आपातकालीन शक्तियां कुटनीतिक शक्तियां स्वविवेक कार्यपालिकायी शक्तियां – अनुच्छेद 78 राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है, तथा राष्ट्र के सभी उच्च पदों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है । प्रधानमंत्री, मंत्री परिषद, केन्द्रशाषित प्रदेशों का प्रशासन, अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन । अनुच्छेद 78 :
राष्ट्रपति की शक्तियां Read More »
ऋग्वैदिक आर्यों का जीवन अस्थायी था, अतः उनके जीवन में कृषि की अपेक्षा पशुपालन का अधिक महत्व था ।
ऋग्वैदिक काल – आर्थिक जीवन Read More »
आर्य भारत में सर्वप्रथम पंजाब व अफगानिस्तान के क्षेत्र के आसपास बसे । इस क्षेत्र को सप्तसैन्धव प्रदेश कहा गया, जिसका अर्थ है सात नदियों का समूह ।
ऋग्वैदिक काल 1500 – 1000 B. C. Read More »