Rigveda Major Facts Sahinta Mandal : इसके पहले भाग में हमने इतिहास के अंग एवं भारत के नामकरण इत्यादि के बारे में पढ़ा था । आज के इस भाग में इतिहास को जानने के स्रोत एवं वेद ग्रंथो के बारे में जानेंगे ।
इतिहास को जानने के 2 स्रोत है
2. पुरातात्विक स्रोत
साहित्यिक स्रोत : साहित्यिक स्रोत को 3 भागों में वर्णित किया गया है
- धार्मिक साहित्य
- लौकिक साहित्य
- विदेशी यात्रीयों का वर्णन का साहित्य
धार्मिक साहित्य : धार्मिक साहित्य को ब्राह्मण साहित्य ग्रन्थ एवं ब्रह्म्नेत्तर साहित्य ग्रन्थ में बांटा गया है
ब्राह्मण साहित्य
वेद : वेद शब्द संस्कृत धातु विद (ज्ञान) शब्द से लिया गया है , वेद को विश्व का सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है । वेदों को “अपौरुषेय” माना गया है जिसका अर्थ है वेदों की रचना मनुष्य द्वारा नहीं अपितु देवकृत है । वेदों के सकंलनकर्ता ” महिर्षि वेद व्यास” है ।
- वेदों की संख्या 4 है, ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्वेद।
- “ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद को “वेदत्रयी” कहा जाता है ”
- चारों वेदों को सम्मिलित रूप से संहिता कहा जाता है ।
- वेद “श्रुति साहित्य” ( सुनकर लिखा गया ) के अंतर्गत आते है ।
- वेदों से आर्यों की सामाजिक, आर्थिक, राजीनीतिक जीवन आदि पर प्रकश पड़ता है ।
Rigveda Major Facts Sahinta Mandal
ऋग्वेद – RIGVEDA
- यह वेद सबसे प्राचीनतम वेद है ।
- ऋग्वेद शब्द ऋक + वेद से बना है , ऋक का अर्थ है छंद बंध रचना या श्लोक ।
- ऋग्वेद के रचना सप्तसैंधव प्रदेश में हुई है जो की पंजाब और उसके आस पास का क्षेत्र है ।
- ऋग्वेद में कुल 10 मंडल , 1028 सूक्ति ( श्लोक ) और 10580 ऋचाएं है ।
- ऋग्वेद में “पहला और दसवां” मंडल सबसे नवीन मंडल है ।
- ऋग्वेद में “दूसरा एवं सातवाँ” मंडल सबसे प्राचीन है ।
- ऋग्वेद के तीसरे मंडल में “गायत्री मन्त्र” का उल्लेख है जो की सूर्य देव को समर्पित है ।
- चूँकि यह तीसरे मंडल में है तो इसकी रचना विश्वामित्र ने की थी ।
- इसके सातवें मंडल में एक युद्ध का वर्णन है जिसे ” दशराज ” युद्ध कहा गया । यह युद्ध भरत जन के प्रमुख सुदास एवं दस राजा ( पांच आर्य और पांच आचार्य ) के मध्य हुआ ।
- भारत कबीलें के प्रमुख पुरोहित “वशिष्ट” थे तथा दश राजाओं के जन गुरु के प्रमुख पुरोहित “विश्वामित्र” थे ।
- यह युद्ध पुरुश्न्वी नदी ( रावी नदी ) के तट पर हुआ था जिसमें भारतजन के राजा सुदास विजयी रहे ।
- ऋग्वेद के दुसरे से सातवें मंडल को “गोत्रमंडल” / ऋषि मंडल कहा जाता है ।
- ऋग्वेद का नौवां मंडल सामदेव को समर्पित है ।
- ऋग्वेद के दसवें मंडल पुरुष सुक्त में पहली बार “शुद्र शब्द का उल्लेख हुआ , इसमें वर्णित है की आदि पुरुष के मुख से – ब्राह्मण , भुजा से – क्षत्रिय , जंघा से – वैश्य एवं पैर से – शुद्र
- ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति की गई है ।
- ऋग्वेद की तुलना “ईरानी ग्रन्थ – जेंदावेस्ता” से की गई है ।
- ऋग्वेद के मंत्र का उच्चारण करके जो पुरोहित यज्ञ सम्पन्न करता था उसे होत्र या होत्री कहा जाता था ।
ऋग्वेद (RIGVEDA) की 5 शाखाएं है :
- शाकल
- वाष्कल
- शांखायान
- अश्वलायन
- मांडूकायन
मंडल सम्बन्धित ऋषि
- प्रथम मंडल अनेक
- दूसरा मंडल गृत्समद
- तीसरा मंडल विश्वामित्र
- चौथा मंडल वामदेव
- पांचवां मंडल अत्री
- छठा मंडल भारद्वाज
- सातवाँ मंडल वशिष्ट
- आठवां मंडल कण्व
- नौवां मंडल
- दसवां मंडल अनेक
अगले भाग में हम अन्य सभी वेदों का विवरण देखेंगे ।