Indian Rivers Drainage System Major Rivers – भारत की प्रमुख नदियां एवं नदी प्रणाली – कण्ठ, उद्गम और मुहाना, बहाव क्षेत्र और घाटियाँ आदि। भारत में प्रमुख नदियाँ और उनकी जल निकासी प्रणाली, उत्पत्ति और मुहाना, बहाव क्षेत्र और घाटियाँ आदि।
भारत में बहुत सी नदियाँ है और इसे नदियों का देश भी कहा जा सकता है। भारत में नदियों की पूजनीय माना गया है और इनकी पुच्जा भी की जाती है . कुछ नदियों का वर्णन वैदिक और प्राचीन कल में भी मिलता है।
भारत में नदियों की श्रेणी को 2 भागों में बांटा गया है –
1. हिमालय से निकली नदियाँ – Originated From Himalaya
जिन नदियों का उद्गम हिमालय से होता है उसे हिमालय उद्गमित श्रेणी में रखा गया है। इन नदियों को पानी ग्लेशियर के पिघलने और वर्षा के कारण प्राप्त होता है इसलियें इनमें हमेशा ( वर्ष भर ) पानी रहता है और यह नदियाँ बहुत लम्बी दुरी तय करती है।
इनकी कुछ प्रमुख नदियों विवरण हम पिछले ब्लॉग में पढ़ चुके है : Himalayan Rivers and Altitudinal Himalayas…. फिर भी यहाँ उसकी विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
सिंधु नदी – Indus river
यह नदी तिब्बत ( Great Himalaya ) के मानसरोवर के समीप से निकली है और यह पश्चिम की तरफ बहती हुयी भारत के उत्तरी भाग कश्मीर से भारत में प्रवेश कर पंजाब होते हुए पाकिस्तान की ओर जाकर अरब सागर में विलय हो जाती है।
सिंधु नदी 2900 किलोमीटर की दुरी तय करटी है . यह अपने मार्ग में बहुत सी मनमोहक दृश की घाटियों का निर्माण करती है जिनको जम्मू काश्मीर में देखा जा सकता है . भारत में सिंध नदी का बहाव 1/3 भाग ही है शेष भाग पाकिस्तान में है।
Indian Rivers Drainage System Major Rivers -भारत की प्रमुख नदियां एवं नदी प्रणाली
सतलज नदी – Satluj River
इस नदी की उत्पत्ति भी तिब्बत ( Great Himalaya ) से ही हुयी है और यह भारत में हिमाचल प्रदेश से प्रवेश कर पंजाब होते हुए पाकिस्तान के रास्ते Indus नदी से मिल जाती है। यह नदी लगभग 1450 किलोमीटर लम्बी है।
सतलज नदी पर ही एशिया का सबसे बढ़ा बांध “भाखड़ा नंगल बाँध” बनाया गया है और इसके बनने से ही कृत्रिम झील “गोविन्द सागर ” का निर्माण हुआ है। यह नदी पंजाब की पांच प्रमुख नदियों में से एक है।
गंगा नदी – Ganga River
जैसा की सभी जानते है की गंगा हमारी पूजनीय है और यह पूर्णतः भारत की नदी है जो उत्तराखंड के गंगोत्री नामक ग्लेशियर से निकली है जो की हिमाचल हिमालय का एक भाग है। गंगा मैय्या की कहानी के बारे में बहुत कथाएं है जिनका हम सत्कार करते है।
गंगा नदी भारत की सबसे लम्बी नदी है और यह गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक 2525 किलोमीटर का सफर तय करती है। इसकी प्रमुख धारा कुछ भागो में बंट जाने की वजह से “अलखनंदा एवं भागीरथी” नदी का जन्म हुआ है जो बाद में फिर से देव प्रयाग में में मिल जाते है।
गंगा नदी प.बंगाल के फर्राका क्षेत्र से दो भागों में विभाजित होकर बहती है। दक्षिण की ओर जो धारा बहती है उसे “हुगली नदी” कहा जाता है जो दक्षिण की ओर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है , और दूसरी धारा पूर्व की ओर बहते हुए ब्रह्मपुत्र को अपने साथ मिलाकर सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है।
ब्रह्मपुत्र नदी – Brahmaputra River
यह नदी भी तिब्बत ( Great Himalaya ) के मानसरोवर झील के पश्चिम से जो की Indus और सतलज के समीप ही है वहीँ से इसकी उत्पत्ति हुई है। यह भारत की एकमात्र नदी है जिसका नाम एक पुर्लिंग है।
यह नदी Great Himalaya के समानांतर बहती हुयी पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हुए पूर्व में स्थित नामचा बारवा पर्वत से टकरा कर दक्षिण में मुड़कर भारत में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करते हुए पुरे आसाम को कवर करते हुए बांग्लादेश के पास Ganga से मिलती है।
इस नदी को भारत में प्रवेश के समय दिहांग के नाम से जाना जाता है और आसाम में इसे ब्रह्मपुत्र के नाम से पुकारा जाता है। यह नदी आसाम के अभिशाप के नाम से जानी जाती है। इसमें हर वर्ष बाढ़ से राज्य की बहुत हानि होती है।
बांग्लादेश में गंगा से मिलने के पूर्व इसका नाम पद्मा तथा गंगा से मिलने के बाद मेघना के नाम से जानी जाती है , ये दोनों नदियाँ मिलकर विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा का निर्माण करती है।
यमुना नदी – Yamuna Rivers
यमुना नदी भी गंगोत्री के समीप यमुनोत्री ग्लेशियर से निकली है , यह नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह गंगा के लगभग साथ साथ ही बहती है और इलाहाबाद में प्रयाग में गंगा से मिलकर पवित्र संगम बनाती है। कहते है इन दो नदियों के अलावा “सरस्वती नदी” भी है जो विलुप्त हो गई है , इसका वर्णन वैदिक काल में है। यहीं कुम्भ का मेला लगता है।
झेलम नदी – Jhelum Rivers
यह नदी कश्मीर के शेषनाग झील से निकलती है और यह पंजाब की पांच नदियों में से एक है।
चिनाब नदी – Chinab Rivers
यह हिमाचल के लाहोली और स्पीती जिले से निकलती है। इस नदी का निर्माण चन्द्र और भागा नदियों के संगम से हुआ है। यह सिन्धु नदी की सहायक नदी है।
ब्यास नदी – Byas Rivers
यह नदी मध्य हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के ब्यास कुंड से निकली है यह नदी भी पंजाब की पांच नदियों में से एक है। पंजाब में यह सतलज से मिल जाती है।
रावी नदी – Raavi Rivers
यह नदी हिमाचल हिमालय की धौलाधर श्रेणी से निकली है और भारत और पाकिस्तान में बहती है यह नदी पाकिस्तान में चिनाब में मिल जाती है। यह नदी भी पंजाब की पांच नदियों में से एक है। यह एक सिन्धु नदी प्रणाली ( Indus River System ) का हिस्सा है।
कोसी नदी – Kosi Rivers
यह नदी नेपाल हिमालय से निकलकर बिहार से भारत में प्रवेश करती है , कहा जाता है की यह नदी उत्तरप्रदेश एवं बिहार की सीमा बनते हुए पटना के समीप गंगा नदी से मिल जाती है।
इस नदी में पानी का बहाव बहुत अधिक होता है इसलिए इसमें बाढ़ हर वर्ष आती है जो जन सामान्य को क्षति पहुंचाती है परन्तु इससे जमीं बहुत ही ज्यादा उपजाऊ होती है। बाढ़ की वजह से इसे बिहार का अभिशाप कहा गया है।
गंडक नदी – Gandak Rivers
यह नदी नेपाल से दो नदियों के संगम से निकली है , भारत की सीमा तक इसका नाम नारायणी और प्रवेश के बाद यह गंडक नदी के नाम से जानी जाती है।
घाघरा नदी – Ghaghra Rivers
यह तिब्बत से निकलकर उत्तरप्रदेश से भारत में प्रवेश करती है। यह गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। यह बिहार में छपरा के समीप गंगा से मिल जाती है। इसे सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है।
काली नदी – Kali Rivers
यह नदी उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले के कालापानी नामक जगह से निकली है। जो की हिमालय के शिवालिक भाग या नेपाल हिमालय का हिस्सा है। यह नदी उत्तराखंड के बाद उत्तरप्रदेश में प्रवेश करते ही शारदा नदी के नाम से जानी जाती है , यह गंगा की सहायक है।
तीस्ता नदी – Tista Rivers
यह नदी पुर्वीय हिमालय से निकलकर सिक्किम एवं प. बंगाल से होते हुए बांग्लादेश की ओर इसका बहाव है। यह ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी में से एक है।
2. प्रायद्वीपीय नदियाँ – Peninsular Rivers:
यह नदियाँ भारत के पश्चिमी घाट तथा केन्द्रीय उच्च घाट से निकलती है और यह ज्यादातर वर्षा पर ही आधारित रहती है। यही कारण है की इनमें से कुछ नदियाँ ग्रीष्म काल में सुख जाती है या बहुत कम पानी होता है, जिसके कारण इनका बहाव कम होता है। इनकी लम्बाई भी बहुत कम होती है।
नर्मदा नदी – Narmda River
यह नदी उच्च केन्द्रीय पठार के मध्यप्रदेश राज्य के अमरकंटक नामक जगह से निकलती है। यह इस भाग के नदियों में गोदावरी और कृष्णा के बाद तीसरी लम्बी नदी है।
यह अपने रास्ते में बहुत रोमांचक घाटियों का निर्माण करती है और जबलपुर में संगमरमर के पहाड़ों से होते हुए भेडाघाट के समीप धुआँधार जलप्रपात का निर्माण करती है।
नर्मदा और ताप्ति ऐसी दो नदियाँ है जो पूर्व की ओर बहती है और मध्यप्रदेश एवं गुजरात को होते हुए अरब सागर की खम्भात की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
ताप्ती नदी Tapti River
यह नदी मध्यप्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई नामक जगह से निकलती है। यह मध्यप्रदेश से होते हुए गुजरात के सुरत शहर में एक बंदरगाह बनाते हुए अरब सागर के खम्भात की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
गोदावरी नदी Godavari River
यह दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी है इसलिए इसे दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यम्बकेश्वर की पहाड़ियों से निकली है। त्र्यम्बकेश्वर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है जहाँ कुम्भ का मेला ( नासिक ) लगता है। इसकी बहुत सी सहायक नदियाँ है।
कृष्णा नदी Krishna River
इस नदी का उद्गम ( Origin )महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की पहाड़ियों से हुआ है। यह इस भाग की दूसरी लम्बी नदी है। यह गोदावरी से मिलकर बंगाल की खाड़ी में विलिन हो जाती है।
कावेरी नदी Kaveri River
इस नदी का उद्गम ( Origin ) पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत श्रेणी से निकली है और यह नदी तमिलनाडु से होते हुए बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
महानदी नदी Mahanadi River
यह नदी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिहावा नगरी नामक जगह से निकली है। इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी शिवनाथ है। महानदी पैरी और मांड नदी मिलकर राजिम ( छत्तीसगढ़ ) में संगम बनती है जहाँ राज्य द्वारा कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।
महानदी छत्तीसगढ़ , ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। इसी नदी पर हीराकुंड बाँध बनाया गया है जो की संबलपुर ( ओडिशा ) में है।
क्षिप्रा नदी Kshipra River
इस नदी का उद्गम स्थल धार (मध्यप्रदेश ) है। यह उज्जैन होते हुए गंगा में समाहित हो जाती है। उज्जैन में बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के नाम से है , यहाँ कुम्भ का मेला लगता है।
बेतवा , सोन एवं चम्बल नदी
यह तीनो नदियां गंगा की सहायक नदियों में से है। जो की क्रमशः मध्यप्रदेश के कुम्हारा, अमरकंटक और महू क्षेत्र से निकली है।
वैसे तो भारत में और भी बहुत सी नदियाँ है जिनका विवरण यहाँ नहीं किया गया है। किन्तु अगर आप जानना चाहे तो हमें मेल या कमेन्ट करें।