मौलिक कर्तव्यों को सोवियत संघ से लिया गया है ।
मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएँ
मौलिक कर्तव्यों के तहत नैतिक और नागरिक दोनों ही प्रकार के कर्तव्य शामिल किये गए हैं।
- ‘स्वतंत्रता के लिये हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों का पालन करना’ एक नैतिक कर्तव्य है, जबकि ‘संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करना’ एक नागरिक कर्तव्य है।
- कुछ मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशी नागरिकों को प्राप्त हैं, परंतु मौलिक कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों पर ही लागू होते हैं।
- संविधान के अनुसार मौलिक कर्तव्य गैर-न्यायोचित या गैर-प्रवर्तनीय होते हैं अर्थात् उनके उल्लंघन के मामले में सरकार द्वारा कोई कानूनी प्रतिबंध लागू नहीं किया जा सकता है।
मौलिक कर्तव्य – Fundamental Duty
मौलिक कर्तव्य – Fundamental Duty
- संविधान का पालन करें, इसके आदर्शों, संस्थाओं , राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान का सम्मान करें ।
- हमारे स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्रदय में संजोय रखना तथा उनका पालन करना।
- देश की संप्रभुता, एकता तथा अखंडता की रक्षा करना एवं इसे अक्षुण्ण बनाएं रखना।
- देश की रक्षा करना एवं आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करना।
- देश के सभी नागरिकों में समरसता एवं सम्मान बंधुत्व की भावना का निर्माण करना जो कि सभी धार्मिक भाषायी, प्रादेशिक व वर्गीक भेदभाव से परे हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध हो।
- देश की सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझें एवं इसका परिक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण जिसमें – वन, नदियाँ , झीलें, वन्य जीव आतें है की रक्षा करें एवं इसका संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करना।
- सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा व हिंसा का त्याग।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधीयों के सभी क्षेत्रों में सतत उत्कर्ष का प्रयास करना जिससे देश निरंतर बढ़कर प्रयत्न और उपलब्धि के नयें स्तर पर पहुंचे।
- 6+14 वर्षों के बीच के बच्चों को शिक्षा के अवसर । ( 86 वां संशोधन 2002 ।