भारत में स्वतन्त्र एवं एकीकृत न्यायपालिका है । सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय के अधीन भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय है । इसके निचे सत्र एवं जिला न्यायालय तदोपरांत व्यव्हार न्यायालय होता है ।
1935 अधिनियम – संघीय (प्री. वी. काउंसिल ) न्यायालय में अपील की जा सकती है ।
उच्चतम न्यायालय की स्थापना – 26 जनवरी 1950
कार्य प्रारम्भ – 28 जनवरी 1950
सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय – अपील का अंतिम न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश 01 होते है और 30 अन्य न्यायाधीश होते है, प्रारंभ में इनकी संख्यां 07 थी ।
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- इनकी नियुक्ति “राष्ट्रपति” द्वारा की जाती है
- नियुक्ति में 2 बार ऐसी स्थिति आई ” A. N. Ray एवं M. V. Beg” वरिष्ठता को दरकिनार किया गया था ।
- Judge Case 1982
- Judge Case 1993 – जो वरिष्ठतम न्यायाधीश होगा वाही मुख्य न्यायाधीश बनेगा ।
- Judge Case 2000
- Judge Case 2015
अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
- राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश ( CJI ) की सलाह से करेगा ।
- क्या सलाह का मतलब सहमती है ? –
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- 1st Case – नहीं ।
- 2nd Case – हाँ , पर CJI दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से सलाह लेगा ।
- 3rd Case – हाँ पर CJI सलाह ले और इनमें से कोई 2 भी असहमत हो तो मान्य नहीं ।
- विपरीत CJI सलाह – मानना आवश्यक नहीं ।
कार्यकाल
65 वर्ष की आयु तक इनका कार्यकाल होता है ।
योग्यताएं
उच्च न्यायालय में 5 वर्ष न्यायाधीश पद पर होना आवश्यक है ।
उच्च न्यायालय में 10 वर्ष तक अधिवक्ता ।
या राष्ट्रपति के दृष्टिकोण से पारंगत विधिवत्रा (Lawful) हो ।
पदमुक्ति
अनुच्छेद 124 (4) के अनुसार किसी भी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को उसके पद से हटाया नहीं जा सकता जब तक कदाचार व असमर्थता न हो । इसके लिए प्रथम सदन लोकसभा के कम से कम 100 सदस्य या राज्यसभा के 50 सदस्य ही हटाने के लिए स्पीकर या चेयरमैन को 14 दिन पहले बताना होगा ।
इस प्रक्रिया की जाँच के लिए 3 सदस्य होंगे – उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या अन्य कोई वरिष्ठतम न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा पारंगत विधिवेता ।
आरोप से सहमती दर्शाती है तो दोनों सदनों से पारित होना पड़ेगा और उसी सत्र में राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाए तो पदमुक्त हो जायेगा ।
न्यायपालिका – उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय की शक्तियां
प्रारम्भिक / मूल क्षेत्राधिकार
राज्य vs राज्य, राज्य vs केंद्र , अनेक राज्य vs केंद्र ( ऐसे मामले जो किसी भी स्थिति में किसी और न्यायालय में नहीं जा सकते ) ।
रिट क्षेत्राधिकार
मौलिक अधिकार – उच्चत्तम न्यायालय को नागरिको से सम्बन्धित मौलिक अधिकार कि सर्वोच्च शक्तियां प्राप्त है ।
अपीलीय क्षेत्राधिकार
- संवैधानिक मामलो में
- दीवानी मामलों में
- फौजदारी मामलों में
- अन्य विशेष मामले
अभिलेख न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले सुरक्षित रखे जायेंगे एवं अधीनस्थ न्यायालयों के लिए पालनीय होंगे ।
न्यायिक पुनरवलोकन का अधिकार
- संविधान के इतर विधान / कार्यपालिक कार्य को शून्य घोषित करना ।
- अपने ही फैसले को बदलना ।
सलाहकारी क्षेत्राधिकार
अनुच्छेद 143 – राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांग सकता है, किन्तु दोनों बाध्यकारी नहीं है ।
संविधान पूर्व की विधि के मामलों में SC राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है ।
अन्य अधिकार
राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति का निर्वाचन सम्बन्धी मामला केवल सर्वोच्च न्यायालय ही करेगा ।
उच्चतम न्यायालय की स्वतंत्रता
- कार्यकाल की सुरक्षा – पद से हटाने की प्रक्रिया जटिल ।
- वेतन संचित निधि पर भारित – संसद चर्चा कर सकता है मतदान नहीं ।
- क्षेत्राधिकार में कमी नहीं हो सकती – क्षेत्रधिकोरो को बढाया जा सकता है किन्तु कम नहीं किया जा सकता ।
- न्यायाधीशों की वेतन सुविधाओं में कार्यकाल के दौरान कमी नहीं की जा सकती ।
- न्यायलय कि अवमानना पर दण्डित करने का अधिकार ।
- नियुक्ति की प्रक्रिया – न्यायायिक नियुक्ति राजनीति पर आधारित नहीं ।