Indus Civilization Life Political, Social, Religious – सिन्धु घाटी सभ्यता में हमने इसके पहले इसके नगरीय नियोजन, भवन निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, धान्य भंडारण, सार्वजनिक स्नानागार एवं बन्दरगाह नगर के बारे में जाना। यह इतिहास को जानने का पुरातात्विक स्रोत का हिस्सा है ।
इस अध्याय में हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus ValleyCivilization) का जीवन – राजनितिक जीवन (Political Life), सामजिक जीवन (Social Life), और धार्मिक जीवन (Religious Life) के बारे में पढेंगे ।
हड़प्पा या सिंधुघाटी सभ्यता का राजनितिक जीवन कैसा था ये एक विवाद का विषय है, अलग अलग विद्वानों ने वहां के राजनितिक के बारे में अलग अलग मत प्रस्तुत किया है ।
- हंटर के अनुसार – ” मोहनजोदड़ो की शासन प्रणाली राजतंत्रात्मक ना होकर गणतंत्रात्मक थी ।”
- मैके के अनुसार – “मोहनजोदड़ो का शासन एक प्रतिनिधि समूह का शासन था ।”
- स्टुअर्ट के अनुसार – ” सिन्धु सभ्यता में पुरोहित वर्ग का शासन था ।”
- व्हीलर के अनुसार – ” सिन्धु प्रदेशों के लोगों का शासन मध्यम वर्गीय जनतंत्रात्मक था , जिस पर धर्म का प्रभाव अधिक था ।”
इस प्रकार हड़प्पा कालीन राजनितिक व्यवस्था के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती चूँकि हड़प्पा वासी व्यापार के प्रति अधिक आकर्षित थे ।
Indus Civilization Life Political, Social, Religious
- हड़प्पा या सिंधुघाटी सभ्यता का समाज संभवतः “मातृसतात्मक” था ।
- इस बात का संकेत यहाँ से प्राप्त अधिकांश स्त्रियों की मूर्ति, बड़े पैमाने पर महिलाओं के श्रृंगार की वस्तुएं, मातृदेवी जिसे उर्वरा देवी कहा गया है से मिलती है ।
- चूँकि इस सभ्यता से किसी भी स्थल से “धारदार हथियार” के प्रमाण प्राप्त नहीं हुए है, अतः यह माना जा सकता है की सिन्धु सभ्यता के लोग शांतिप्रिय थे ।
- हड़प्पा या सिन्धु सभ्यता के लोग “मृदभांड” ( मिटटी से बने बर्तन ) का प्रयोग करते थे ।
- लाल में काला मृदभांड हड़प्पा या सिन्धु सभ्यता की प्रमुख पहचान थी ।
सिन्धु घाटी सभ्यता ( Indus Valley Civilization ) – धार्मिक जीवन ( Religious Life )
- सिन्धु कालीन लोगों के जीवन में “धर्म” का विशेष महत्व था ।
- ज्ञात स्रोतों के अनुसार हड़प्पा कालीन धार्मिक विश्वासों में परवर्ती हिन्दू धर्म के अनेक विशेषताएं शामिल है ।
- मातृदेवी मुख्यतः “उर्वरा देवी ” के रूप में पूजी जाति है ।
- हड़प्पा के लोग मुख्यतः “प्रकृति पूजा” से सम्बन्धित थे ।
- प्रकृति पूजा में वृक्ष, पक्षी, कूबड़ वाला सांड, लिंग, योनी, सांप आदि की पूजा करते थे ।
- कालीबंगा एवं लोथल से अग्निपूजा के प्रमाण मिलें है ।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त विशाल स्नानागार धार्मिक अनुष्ठान के पूर्व सामूहिक स्नान की ओर इंगित करता है ।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त मोहरों पर तिन सिंग वाला देवता को पद्मासन मुद्रा में बैठा दिखाया गया है जो वर्तमान में पशुपतिनाथ या शिव पूजा की ओर इंगित करता है ।
- इस काल में मूर्ति पूजा का प्रचलन था किन्तु मंदिर निर्माण के साक्ष्य नहीं मिले है ।
- हड़प्पा वासी जादू-टोना , ताबीज आदि के प्रयोग पर विशवास करते थे ।
- पुजारी की मूर्ति, पुरोहित आवास आदि का मिलना पुरोहित वर्ग की ओर इंगित करता है ।
मृतक संस्कार
सिन्धुकालीन सभ्यता में तीन प्रकार के मृतक संस्कार प्रचलित थे :
- पूर्ण समाधीकरण : इसमें शवों को पूर्ण रूप से भूमि में दफना दिया जाता था ।
- आंशिक समाधीकरण : इसमें शवों को पशु पक्षियों के लिए खुले आसमान में रख दिया जाता था, तथा पशु पक्षियों के खाने के बाद बचे हुए अवशेषों को दफनाया जाता था ।
- दाह संस्कार : इसमें शवों को पूर्ण रूप से जला दिया जाता था।
तीनों मृतक संस्कारों में पूर्ण समाधीकरण ज्यादा प्रचलित था ।