आपातकालीन उपबंध भाग – 18 – अनुच्छेद 352-360
भारतीय संविधान में 3 प्रकार के आपातकाल का उल्लेख किया गया है किन्तु कुछ में आपातकाल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है ।
आधार
युद्ध, बाह्य आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह ( मूल सविंधान में सशस्त्र विद्रोह के स्थान पर “आंतरिक अशांति” शब्द था जिसे संविधान के 44 वें संशोधन में संशोधित किया गया है ) ।
घोषणा
राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करता है, किन्तु आपातकाल की घोषणा मंत्रिमंडल की लिखित सहमती या सलाह पर ही कर सकता है।
संसद की सहमती
संसद की सहमती 1 माह के अंदर विशेष बहुमत से होनी चाहिए और राष्ट्रीय आपातकाल की अधिकतम सीमा 6 माह रहेगी, आपातकाल कीअवधि बढाने या जारी रखने के लिए विशेष बहुमत से पुनः पारित किया जा सकता है, यह प्रक्रिया बार बार पारित करके अनिश्चित काल तक आपातकाल किया जा सकता है ।
हटाने का अधिकार
राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल को हटा सकता है, किन्तु आपातकाल को लोकसभा भी सामान्य बहुमत (1/10 सदस्य – प्रधानमंत्री एवं लोक सभा अध्यक्ष ) से हटा सकती है । अगर लोकसभा विघटित हो तो लोकसभा की पहली बैठक के 30 दिन के भीतर (परन्तु राज्यसभा से पारित हो) अनुमति ।
कार्यकाल
आपातकाल के समय लोकसभा का कार्यकाल 1 बार में 1 वर्ष के लिए एवं विधानसभा का भी कार्यकाल 1 बार में 1 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है, किन्तु राष्ट्रीय आपातकाल समाप्त होने के 6 माह बाद यह नहीं रहेंगे ।
क्षेत्र
आपातकाल पुरे देश या देश के कोई क्षेत्र में ।
राज्य – राष्ट्रीय आपातकाल के समय कार्यपालिका तथा विधायिका निलम्बित नहीं होती किन्तु केंद्र को समवर्ती शक्ति प्राप्त हो जाती है ।
मौलिक अधिकार
बाह्य आपातकाल ( अनुच्छेद 358) – बाह्य आपातकाल की स्थिति में अनुच्छेद 19 निलंबित हो जाता है किन्तु न्यायायिक पुनरवलोकन किया जा सकता है ।
आंतरिक आपातकाल ( अनुच्छेद 359) – आंतरिक आपातकाल की स्थिति में अनुच्छेद 20 – 21 के अलावा अन्य मौलिक अधिकार निलम्बित हो जाते है ।