दक्षिण भारत की नदियाँ ज्यादातर वर्षा पर ही आधारित रहती है। यही कारण है की इनमें से कुछ नदियाँ ग्रीष्म काल में सुख जाती है या बहुत कम पानी होता है, जिसके कारण इनका बहाव कम होता है। इनकी लम्बाई भी बहुत कम होती है। इन्हें प्रायद्वीपीय नदियाँ भी कहा जाता है।
1. गोदावरी नदी
2. कृष्णा नदी
3. कावेरी नदी
यह दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी है इसलिए इसे दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यम्बकेश्वर की पहाड़ियों से निकली है। त्र्यम्बकेश्वर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है जहाँ कुम्भ का मेला ( नासिक ) लगता है। इसकी बहुत सी सहायक नदियाँ है।
सहायक नदिया – वेनगंगा, इन्द्रावती, शबरी तथा मानस।
लम्बाई – 1465 किलोमीटर
कृष्णा नदी Krishna River
इस नदी का उद्गम ( Origin )महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की पहाड़ियों से हुआ है। यह इस भाग की दूसरी लम्बी नदी है। यह गोदावरी से मिलकर बंगाल की खाड़ी में विलिन हो जाती है।
सहायक नदिया – तुंगभद्रा,भीमा, कोयना तथा मुसी।
लम्बाई – 1400 किलोमीटर
दक्षिण भारत की नदियाँ
कावेरी नदी Kaveri River
इस नदी का उद्गम ( Origin ) पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत श्रेणी (कर्नाटक) से निकली है और यह नदी तमिलनाडु से होते हुए बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
लम्बाई – 805 किलोमीटर
नदी जल विवाद – कर्नाटक, तमिलनाडु, पोंडिचेरी