Samveda Yajurveda Atharveda Sahinta Major Facts : चार वेदों में सामवेद यजुर्हैवेद और अथर्वेद भी है जिसका विवरण हम आज पढेंगे । इसके पहले हमने ऋग्वेद के बारे में पढ़ा जिसमें हमने ऋग्वेद मंडलों के बारे में जानकारी प्राप्त की ।
सामवेद: SAMVEDA
- साम का अर्थ गायन है ,साम में संकलित मंत्र को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता है ।
- सामवेद में कुल मंत्रों की संख्यां 1875 : 1549 जिसमें से केवल 75 मंत्र सामवेद के है बाकी सभी मंत्रों को ऋग्वेद से लिया गया है ।
- सामवेद को ऋग्वेद का अभिन्न अंग माना गया है ।
- सामवेद को भारतीय संगीत का मुल वेद माना जाता है ।
- सात सुर ” सा , रे, गा, मा, पा, धा, नी, ” का उल्लेख सामवेद में ही मिलता है ।
- सामवेद के मंत्रों को उच्चारित करने वाले ऋषि को ” उदगाता ” कहा जाता था ।
- चारों वेदों में सामवेद का ऐतिहासिक महत्व सबसे कम है ।
सामवेद की 3 शाखाएं है :
- कौथुम
- जैगिनीय
- राणायानिय
Samveda Yajurveda Atharveda Sahinta Major Facts
यजुर्वेद – YAJURVEDA
- यजुर्वेद अर्थात यजुष + वेद , यजुष का अर्थ अहि “यज्ञ” ।
- इसमें विभिन्न यज्ञों सम्बन्धित अनुष्ठान एवं विधियों का उल्लेख है ।
- यह एक “कर्मकांडीय” वेद है जो की “बलिदान धर्म” की स्थापना करता है ।
- यजुर्वेद गद्य एवं पद्य दोनों रूपों में रचित है।
- यजुर्वेद के कर्मकाण्डो को सम्पन्न करने वाले पुरोहित को “अध्वर्यु” कहा गया है ।
यजुर्वेद की 2 शाखाएं है :
- शुक्ल यजुर्वेद
- कृष्ण यजुर्वेद
अथर्वेद – ATHARVEDA
- ये सबसे नवीन वेद है, इसमें ब्रह्मज्ञान औषधि प्रयोजन, रोग निवारण, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, वशीकरण, भुत-प्रेत आदि की मान्यता का वर्णन किया गया है ।
- किसी यज्ञ में कोई बाधा आने पर उसका निवारण “अथर्वेद” के माध्यम से किया जाता है ।
- अथर्वेद को “ब्रह्मवेद या श्रेष्ठ” वेद भी कहा जाता है ।
- “अथर्वा” ऋषि के नाम पर इस वेद का नाम अथर्वेद पड़ा ।
- “अथर्वेद” के मंत्रों का उच्चारण पुरोहित को “ब्राह्म” कहा जाता है ।
अथर्वेद की 2 शाखाएं है :
- शौनक
- पिप्लाव
विशेष
चारों वेदों में सबसे प्रसिद्ध वेद “अथर्वेद” है ।
चांवल का उल्लेख भी अथर्वेद में मिलता है ।
अथर्वेद में सभा और समिति – सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्री माना गया है ।
वेद सम्बन्धित पुरोहित सम्बन्धित विषय
- ऋग्वेद होत्र या होत्री स्तुति प्रार्थना
- सामवेद उदगाता संगीतमय स्तुति और गायन
- यजुर्वेद अध्वर्यु यज्ञ एवं कर्मकांड
- अथर्वेद ब्रह्म औषधि, रोग निवारण, जादू टोना , तन्त्रमन्त्र , वशीकरण