स्वामी विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन – स्वामी विवेकानंद ने “रामकृष्ण मिशन” की स्थापना सन 1897 में पश्चिम बंगाल के “वेलुर मठ” नामक स्थान में की थी । विवेकानंद जी के अनुसार मिशन का उद्देश्य मानवजाति की सेवा से था ।
रामकृष्ण मिशन
संस्थापक – स्वामी विवेकानंद
वर्ष – 1897
स्थान – वेलुर मठ (पश्चिम बंगाल)
धार्मिक विचार
- रामकृष्ण मिशन की शिक्षा में उपनिषद व गीता के दर्शन देखने को मिलता है ।
- इसने धार्मिक संकीर्णता, कर्मकांड तथा अंध विशवास का विरोध किया ।
- मिशन का मानना है की इश्वर की आराधना का सर्वोत्तम मार्ग मानवजाती की सेवा करना है ।
- दीन-दुखियों की सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है ।
स्वामी विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन
स्वामी विवेकानंद
- स्वामी विवेकानंद नव हिन्दुवाद के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि है । इनका वास्तविक नाम – “नरेन्द्र नाथ दत्ता” है, तथा इनके गुरु “रामकृष्ण परमहंस” देव थे । रामकृष्ण जी के बचपन का नाम – गदाधर या गंगाधर था, उनकी पत्नी का नाम शारदा माँ था ।
- रामकृष्ण परमहंस कलकत्ता के निकट दक्षिणेश्वर के कालीबाड़ी के पुजारी थे , वे मूर्तिपूजा में विश्वास करते थे ।
- 1886 में रामकृष्ण के मृत्यु के पश्चात् स्वामी विवेकानंद ने उनके उपदेशों का प्रचार किया ।
- 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित प्रथम विश्व धर्म सम्मलेन स्वामी विवेकानंद ने भारत का नेतृत्त्व किया ।
- इस सम्मलेन में जाने से पूर्व खेतड़ी ( राजस्थान ) के राजा के सुझाव पर उनका नाम उनका नाम स्वामी विवेकानंद कर दिया गया ।
- 1896 में उन्होंने न्युयोर्क में वेदांत सभा की स्थापना की ।
- इनकी प्रसिद्ध रचना – “मैं समाजवादी हूं” है, उनकी अन्य रचना – कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा राजयोग है।
- सुभाष चन्द्र बोस ने स्वामी विवेकानंद को आधुनिक राष्ट्रिय आन्दोलन का पिता कहा ।
- सिस्टर निवेदिता ने स्वामी विवेकानंद को योद्धा सन्यासी कहा ।
- स्वामी विवेकानंद ने कहा था की हमारा धर्म रसोई घर में बंद है ।
- स्वामी विवेकानंद ने नाव युवकों से कहा था की “उठो जागो और चलो और तब तक चलो जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त का ना लो” ।
- 1902 में स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गई, उनके जन्म दिवस 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है ।