Yunani , Chini Yatri, Arabi (Arabian) Yatri Srot of Indian History – हमने पढ़ा की इतिहास को जानने के 2 स्रोत है जिनमें से एक स्रोत ” साहित्यिक स्रोत” जिसके बारे में हम पढ़ रहे है, अब तक हमने इसके भाग “धार्मिक साहित्य” एवं “लौकिक साहित्य” के बारे में पढ़ा, आज हम इसके अंतिम भाग “विदेशी यात्रीयों का वर्णन साहित्य” के बारे में जानेंगें ।
विदेशी यात्री का वर्णन साहित्य
विदेशी यात्री एवं लेखको के विवरण से भी भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है , इससे अनेक यूनानी, चीनी , अरबी आदि यात्री शामिल है ।
यूनानी यात्री-Yunani Yatri
- यूनान के प्राचीन लेखकों में “टेसियस” का नाम प्रसिद्ध है जो की यूनान के “राजवैध” थे । उसने यूनानी अधिकारीयों से जो ज्ञान प्राप्त कीया उसी के आधार पर भारत का वर्णन किया जो अविश्वसनीय है ।
- “हेरोड़ोट्स” जिन्हें “इतिहास का पिता” कहा जाता है, इन्होने अपनी पुस्तक “हिस्टोरिका” में भारत में “फारस”(इरानी या यूनानी) एवं भारत के सम्बन्धों का वर्णन किया ।
- “सिकंदर” के साथ आने वाले लेखकों में निर्याकस,आनेसिक्रटस ,आरिस्टोबुलस का विवरण प्रमाणिक एवं विश्वसनीय है ।
- “सिकंदर” के बाद 03 राजदूत “मेगास्थनीज“, ” डाईमेकस” एवं “डायनोसियस” के नाम उल्लेखनीय है, जो यूनानी शासकों द्वारा “मौर्य “दरबार में भेजे गए थे ।
- “मेगास्थनीज” सबसे प्रसिद्ध राजदूत था जो की यूनानी शासक “सेल्यूकस निकेटर” का राजदूत था और “चन्द्रगुप्त मौर्य” के दरबार में आया था ।
- “मेगास्थनीज” की रचना “इंडिका” है ।
- ” डाईमेकस” सीरिया शासक “एंटियोकस प्रथम” का राजदूत था, जो की “बिन्दुसार” के दरबार में आया था ।
- “डायनोसियस” मिश्र नरेश ” टोल्मी फिलाडेल्फस II ” का राजदूत था ।
- इसके अतिरिक्त अन्य रचनाओं में
1. टोल्मी – जियोग्राफी
2. प्लिनी – नेचुरल हिस्ट्री भी महत्वपूर्ण है ।
- एक अन्य रचना “पेरिप्लस ऑफ़ एरिथिय्स” थी, जिसमें भारतीय बन्दरगाह का वर्णन किया गया है , इनके लेखक का नाम ज्ञात नहीं है ।
Yunani , Chini Yatri, Arabi (Arabian) Yatri Srot of Indian History
चीनी यात्री-Chini Yatri
चीनी यात्रियों में उल्लेखनीय है :
- फाह्ययान
- व्हेनसांग
- इल्सिंग
- मात्वालिन
- चाऊ-सु-कुआ
- “फाह्ययान” गुप्त शासक “चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य)” के शासन काल में आया था ।
- “व्हेनसांग” 7वीं शताब्दी में “हर्षवर्धन” के शासन काल में आया तथा “नालंदा विश्वविद्यालय” में शिक्षा प्रदान की ।
- “व्हेनसांग” को “यात्रियों का राजकुमार” ( Prince of Pilgrims ) कहा जाता है, इन्होने “सी.यु.की.” पुस्तक की रचना की थी ।
- “इल्सिंग” सातवीं शताब्दी (671 ईस्वी AD ) में भारत आया, उसने अपने यात्रा विवरण में “नालंदा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय” का उल्लेख किया ।
- “मात्वालिन” ने “हर्षवर्धन” के पूर्वी अभियान का वर्णन किया । ( हर्षवर्धन का शासन काल 606-641 AD )।
- “चाऊ-सु-कुआ” ने “चोल ” कालीन इतिहास का वर्णन किया है ।
अरबी (अर्बी) यात्री- Arabi (Arabian) Yatri
अरबी यात्रियों में उल्लेखनीय है :
- अलबरूनी
- सुलेमान
- अलमसुदी
“अलबरूनी” 11 वीं शताब्दी में ” महमूद गजनवी” के साथ भारत आया था ।
अलबरूनी की रचना – “तहकीक-ऐ-हिन्द”, “किताबुल-ऐ-हिन्द” एवं “तारीख-ऐ-हिन्द” है ।
अरबी यात्री “सुलेमान” ने “पाल” तथा “प्रतिहार” वंशों का वर्णन किया है ।
बगदाद यात्री “अलमसुदी” ने “राष्ट्रकूट” एवं “प्रतिहार” शासकों के बारे में जानकारी दी है ।